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रास पंचाध्थायी जीवो के रहस्य का उद्घाटन करता है: कौशलेंद्र

उमाशंकर मौर्य (संवाददाता)

 चकिया। क्षेत्र के बरहुआँ गांव में भगवान की रासलीला कोई वासना की लीला नहीं है, बल्कि यह जीव और जीवन के गूढ़ रहस्य का उद्घाटन करता है। उक्त बातें कौशलेंद्र जी महाराज ने बरहुआँ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन अपने उद्बोधन मैं कहीं उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण की बंसी साक्षात शिव का अवतार है जिसके नाद से जीव ब्रह्मानंद  और विश्वानंद तथा दोनों को भूल जाता है। भक्ति रस की  सरितामृत  बहाते हुए उन्होंने कहा कि आज के समाज में लोगों ने पश्चात सभ्यता को ही श्रेष्ठ मान लिया है। जबकि भारतीय सभ्यता दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सभ्यताओं में है। कथा के अंत में प्रमुख समाजसेविका डॉक्टर गीता शुक्ला ने भी श्रोताओं को संबोधित किया। डॉ शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि भौतिकवाद का जहां अंत होता है,वहां से अध्यात्म की शुरुआत होती है इसलिए हमें दोनों के वास्तविक नीतियों को समझने की आवश्यकता है कथा में मुख्य रूप से पूनम तिवारी, रामदास द्विवेदी, राधेश्याम द्विवेदी, दीनानाथ,रामनंदन सिंह मौर्य  मालती देवी रामप्यारे मौर्य  निखिल कुमार नितेश कुमार आदि लोग उपस्थित थे संचालन अखिलेश द्विवेदी ने किया।

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