चकिया / देहात में एक मसहूर कहावत परचलित हैं कि *दाद पहले से था उसमें खुजली हो गयी* यह तब सटीक साबित हो रहा हैं जब डूडा विभाग द्वारा प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में पहले कुछ जनप्रतिनिधि सुविधा शुल्क लेते थे और जांच के लिए उठाये आवाज पर जांच कर्मचारी भी अपनी हिस्सा तय करा लिया जि हां जब आदर्श नगर पंचायत चकिया जनपद चन्दौली में सरकार द्वारा असहाय, छतविहीन लोगों के लिए आयें प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में सुविधा शुल्क लेकर चाहे पात्र हो या अपात्र उनसे कुछ जनप्रतिनिधियों के द्वारा वसूली होने लगी थी और जो प्रधानमंत्री आवास योजना के पात्र भी थे लेकिन उनके पास अगर सुविधा शुल्क जनप्रतिनिधियों को देने के लिए नहीं था तो आवास नहीं मिलेगी और आपने आवास लेने की कोशिश किया तो आपका फार्म आवास मरम्मत योजना में चली जायेगी भले ही बरसात में आपका मिट्टी का घर गिर जाये और पोलिथीन डालकर रहें इससे न तो जनप्रतिनिधियों पर फर्क पड़ेगा और न ही डूडा विभाग को, और आपने विश्वास दिला दिया कि सुविधा शुल्क देंगे या एडवांस में भी देंगे तो आपको आवास मिल जायेगा भले ही आपका घर पक्का ही नहीं कई तल्ला या कई जगह चकिया में घर क्यों नहीं हो! सरकार की गाइडलाइन की प्रधानमंत्री आवास योजना देने की गजब व्याख्या हो रही हैं जबकि सरकार की मंशा यह हैं कि असहाय, छतविहीन, या एक ही घर में कई परिवार रहते हैं उनको आवास मिलें लेकिन हुआ क्या कई करोड़पति पत्नी के नाम से घर हैं तो लड़के के नाम से भले ही लड़के की शादी नहीं हुआ हैं और पिता के साथ हो लेकिन आवास लेने के लिए अलग दिखा दिया गया, पति एक ग्राम सभा का पूर्व प्रधान भी रहा हो और शहर में पक्का मकान हो तो भी पत्नी के नाम से आवास लेकर बोर्ड लगाकर मकान बना दिखाकर भुगतान करा लिया गया और भुगतान होते ही बोर्ड उखाड़ दिया गया ! असहाय गरीब छत विहीन लोगों को आवास मिले और अपात्रों की जांच हो सवाल उठाया तो नगर के बहुत से अपने भी हमें पराया समझ लिया हम पर निजी हमले शुरू कर दिए कुछ लोग कहने लगे कि आपके घर का पैसा हैं आपके कारण चकिया का नुकसान हो रहा हैं आप भी कुछ सुविधा शुल्क ले ले आदि आदि मन में बहुत दुख हुआ लेकिन डटा रहा लडाई शुरू किया असहाय के लिए, पात्रों के लिए जांच के नाम पर टीम बनी भाग दौड़ शुरू हुआ नतीजा उपर की कहावत की तरह कुछ जनप्रतिनिधियों की तरह उन जांच अधिकारियों की सुविधा शुल्क में हिस्सेदारी तय होने लगी पहले हम पहले हम की तरह लाभार्थियों चाहे पात्र हो अपात्र जमकर पैसे की वसूली हुयी सुबह जो अपात्र था वह शाम तक पात्र होने लगा सरकार की गाइड लाइन की व्याख्या होने लगी मुख्य मकसद असहाय गरीब, छत विहीन को आवास मिलें इस पर से जोर हटकर करोड़ों के मालिक के बेटे, पत्नी, लड़की की दूसरी व्याख्या कर आवास दिया जाने लगा हमें यह समझ में नहीं आ रहा हैं कि करोड़ों की मकान के मालिक पिता में बेटा बेटी की क्या हिस्से दारी नहीं हैं? पत्नी की हिस्सा नहीं है ?अगर हिस्सा हैं तो वह आवास योजना के पात्र कैसे हैं? ताज्जुब हमें तब हुआ हैं जब जिस अधिकारी को जांच कर अपात्र को इस योजना से बाहर कर पात्रों को आवास दिलाते लेकिन कुछ नही हुआ जांच अधिकारी पैसा लेकर लाल हो गये डूडा के कर्मचारी को तो हमनें लाकडाउन में कुछ जनप्रतिनिधियों से पहले पहुच कर पैसा वसूली करते हुए हमने आंखों से देखा फर्क इतना था कि उनका रेट कम था हमारे बगल में प्रधानमंत्री आवास योजना बन रहा है पहले किस्त में एक जनप्रतिनिधि ने दस हजार लेकर गये अब दूसरी किस्त आयीं हैं काम लगा हैं हमने सोचा इतनी आवास योजना में पैसा लेने पर हल्ला मचा हैं हो सकता हैं पैसा नहीं लिया गया होगा हमने इस पर पुछा तो हमें बताया गया वह जनप्रतिनिधि जी आये पांच हजार ले गये और डूडा के लोग पांच ले गये मैं सन्न रह गया एक वार्ड में जनप्रतिनिधि से डूडा के लोग से वर्चस्व की लड़ाई चल रहीं हैं इस वर्चस्व की लड़ाई की वजह हमारे नगर का विकास नहीं हैं! खैर जो हो हम तो लड़ाई इस लिए शुरू किए थे कि हमारे नगर में रहने वाले असहाय छत विहीन, गरीब का भला होगा जब कुंएं में ही भांग हैं मिला तो हम क्या करें इस सरकार जो भ्रष्टाचार मुक्त का नारा देती हैं उसके राज में भ्रष्टाचार खुल्ले आम हो रहा हैं! भाजपा के नेतृत्व से भी मैं कह रहा हूँ हमने नगर पंचायत के विकास मदों की सही इस्तेमाल और पात्रों को आवास देने और अपात्रों की जांच का सवाल उठाया बिना डर भय का आज भी लड़ाई लड़ रहा हूँ आपने इस सवालों पर किसी अधिकारी से बात किया जांच करवाया उल्टे आप कहते हो कि आप सवाल उठाकर चुप्प क्यों हैं! हम तो लड़ाई लड़गें की रणनीति बनाते हुए स्वराज अभियान के नेता अजय राय ने कहा कि हश्र चाहें जो होअभी लाकडाउन के नियमों से बंधे हैं जांच भी होंगी और कार्यवाही भी होगा अपात्रों के खिलाफ और विकास मदों की सही इस्तेमाल के लिए हाईकोर्ट का सहारा लेना होगा तो हम लेंगे लेकिन उन जांचकर्ताओं से भी कहता हूँ चाहें तहसील के हो या डूडा के अगर आप सही जांच कर पात्रों की जगह अपात्रों को आवास दिलाई हैं तो आप भी जांच दायरे में आयेंगे!
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