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मजदूरों ने ग्राम प्रधान के द्वारा काम ना देने पर विकासखंड परिसर में किया प्रदर्शन

सत्येंद्र कुमार (संवाददाता)
चकिया/चन्दौली| एक तरफ पूरा देश कोरोना रूपी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है।इसके प्रकोप से बचने व बचाने के लिए शासन द्वारा सम्पूर्ण देश में लॉक डाउन कर दिया गया है।कल कारखाने,यातायात व अन्य सभी सार्वजनिक कार्यों को बन्द कर दिया गया है जिससे यह लाइलाज वायरस को फैलने से रोका जा सके।वहीं दूसरी ओर लम्बे समय से चल रहे लॉक डाउन से उन लोगों के सामने संकट आ खड़ा हुआ है जो दैनिक मजदूरी करके अपना जीवनयापन कर रहे थे।इस समस्या को देखते हुए शासन ने सभी कामगर मजदूरों को गांव में ही रोजगार देने की योजना बनाई जिसके तहत सभी ग्राम प्रधानों के माध्यम से सभी मनरेगा जॉबकार्ड धारकों को गांव में काम देने का निर्देश दिए गए हैं जिसके तहत क्षेत्र के तमाम ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के अन्तर्गत कार्य प्रारम्भ हो चुका है लेकिन कई दिनों से मजदूरों का सड़क पर आकर धरना प्रदर्शन, करना,चक्का जाम करना बहुत कुछ बयां करता है और सरकार के योजना पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।एक ओर सरकार अपनी महत्वकांक्षी योजना के तहत सभी कामगर मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के प्रति संकल्पित हैं तो दूसरी ओर सरकार के इस महत्वकांक्षी योजना को ग्राम प्रधानों,पंचायत सचिव एवं विकास अधिकारियों द्वारा ठेंगा दिखाने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जा रहा है।यही स्थिति ग्राम सभा मोहम्मदाबाद के मनरेगा मजदूरों की रही।शनिवार को मजदूर आक्रोशित होकर चकिया ब्लाक खण्ड परिसर में फावड़ा खांची लेकर प्रदर्शन करने लगे। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि ग्राम प्रधान व सेक्रेटरी की मिलीभगत से जो घर पर बैठा रहता है उसी को मस्टरोल भरा जाता है और फर्जी तरीके से भुगतान कराया जाता है जो वाकई में मजदूर है गरीबी से त्रस्त है जिन्हें वास्तव में काम की और साथ ही साथ पैसे की जरूरत है उनको काम नहीं दिया जा रहा है।

बता दें कि क्षेत्र पंचायत सदस्य मोहम्मदाबाद विजय साहनी के नेतृत्व में सैकड़ों मजदूरों ने आक्रोशित होकर ग्राम प्रधान हरिश्चंद्र चौहान व सेक्रेटरी श्रीचंद्र के विरोध में विकास खण्ड परिसर में नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया इस मामले को खण्ड विकास अधिकारी सरिता सिंह को जानकारी दी गई है। हालांकि उनकी तरफ से अभी मजदूरों के प्रति कुछ भी स्पष्टीकरण नहीं आया है इस दौरान गुड्डी चौहान, संजय चौहान,सुरेश चौहान,टीना चौहान आदि मजदूरों ने प्रदर्शन किया।
अब प्रश्न यह खड़ा होता है कि सरकार द्वारा जारी भारी भरकम बजट से आम लोगों को फायदा पहुंचेगा कि नहीं। कल कारखानों के बन्द होने पर क्या सरकार मजदूरों को रोजगार मुहैया करा पाती है कि नहीं लेकिन वर्तमान परिदृश्य में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार अपने उद्देश्य की पूर्ति तो कर लेगी लेकिन धरातल पर इसकी पूर्ति असफल साबित होगी।

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