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सबसे बड़े गांव की हकीकत देख कर आयेगा पसीना



चकिया/चन्दौली ।लोक मीडिया। स्थानीय विकास खण्ड का आबादी के हिसाब से सबसे बड़ा गांव सिकन्दरपुर विकास के मामले में उतना ही छोटा नजर आता है।गांव में सफाई हो या बिजली चाहे अन्य आमजन की सुविधाएं सब में यह गांव फिसड्डी ही नजर आयेगा।सरकार का स्वच्छ भारत अभियान यहां कही नहीं दिखता,नालियों का गन्दा पानी सड़कों पर इस कदर बह रहा है मानो किसी झील का पानी,सिर के ऊपर झूलते बिजली के तार कभी भी जान लेवा साबित हो सकते है। ऐसे में सवाल जनप्रतिनिधियों के साथ ही ब्लाक के जिम्मेदारों पर भी उठता है।ठीक से जिम्मेदारियों का निर्वहन न करने का इन पर आरोप लगे तो कोई गुरेज नही होगा,परन्तु इन पर कार्यवाही कौन करेगा ग्रामीण समस्याओं को किससे कहे,जिले के अधिकारी अपने नीचे के सिस्टम को जिम्मेदारी देकर अपना इतिश्री कर लेते है ब्लाक के अधिकारी कभी मौके पर जाना मुनासिब ही नहीं समझते,शिकायत भी होगी तो मैनेज सिस्टम आगे आ जायेगा, बहुत हुआ तो सफाईकर्मी के ऊपर गाज गिरेगी इससे अधिक कुछ नहीं होगा।ऐसे में अधिकारियों की कर्त्तव्य विमुखता सरकार की अच्छी योजनाओं को भी बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।जिम्मेदारों के नकारे पन से सिकन्दरपुर ही नहीं ऐसे तमाम गांव मौजूद जहां तमाम सरकारी योजनाएं दम तोड़ती दिख जायेगी और जिम्मेदारों के प्रमोशन होते चले जायेंगे,आमजन की सुविधाओं के लिए आये सरकारी धन से अधिकारी प्लस जनप्रतिनिधि मालामाल होते जायेंगे और विकास की रफ्तार केवल कागजों में दिखेगी।

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